जब मन एक नए पुष्प की भाँती खिला हो, तो रात के अँधेरे में भी नवप्रभात का आगमन होता है।
जब मैं एकांत का अनुभव करता हूँ तो भावों के प्रवाह की शब्दों से प्रस्तुति हो जाती हैं...
--उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.
बुधवार, 3 सितंबर 2014
NAVPRABHAT-मैं दूसरों को क्षमा करता हूँ, इसलिये नहीं कि वे क्षमा के हकदार हैं। बल्कि इसलिये कि मैं शांति का हकदार हूँ! मैं दूसरों से क्षमा मांगता हूँ, इसलिये नहीं कि मैंने गल्तियाँ की हैं, बल्कि इसलिये कि मैं शांति का पक्षधर हूँ।